मंगलवार, 9 दिसंबर 2008

मेरी बरेली मेरी शान ------------१

बरेली एक ऐसा शहर जिसे राजपूत कठेरिया राजा बॉस देव और बरल देव ने बसाया । उसे बॉस बरेली कहाँ जाने लगा । समय के साथ सिर्फ बरेली रह गया । पर लखनऊ मे आप बरेली की बात करे तो वहां पुछा जायेगा कौन सी बरेली बॉस या राय बरेली ।

बरेली रूहिल्ला सरदारों की राजधानी रहा । नबाब खानबहादुर खान और उनके मंत्री मुंशी शोभा राम ने ३१ मई १८५७ को बरेली अंग्रेजो से आजाद घोषित कर दिया । लगभग दो साल तक अंग्रेजो को धुल चटाई । अंग्रेजो के हमले मे वीर खान बहादुर खान और उनके २५७ साथियों को गिरफ्तार कर लिया । २४ फरवरी १८६० पुराणी कोतवाली मे पेडो पर सरेआम फासी पर लटका दिया और कई दिनों तक शहीद इसी हालत मे लटके रहे । बरेली के शहीदों को नमन ।

गौरव शाली इतिहास है हमारा ............ शेष आगे

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

बरेली मेरी जान

बरेली मेरा शहर एक ताज़ा सा हवा का झोका महसूस होता है हर दम , गंगा जमुनी तहजीव की शानदार मिसाल है। हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई,पारसी ,जैन,बौध और भी कई धर्म यहाँ खुली हवा मे सांस लेते है । अनेक पंथ ,सम्प्रदाय ,जाति एक धागे से बंधी है प्रेम धागे से ।

शानदार मंदिर ,मस्जिदे ,गुरूद्वारे ,कई पुराने चर्च यहाँ की धरोहर है । पुराने अस्पताल , स्कूल ,कालेज ,कुतुबखाने {पुस्तकालय } इसकी शान है । समय के साथ आधुनिक भी हमारा बरेली ।

कहते है जो एक बार यहाँ रह लिया वह यहाँ का निवासी हो गया । कोई ताज नहीं कोई किला नहीं कोई कुतुबमीनार नहीं लेकिन मोहबत है ,ताकत है ,गोरव शाली इतिहास है हमारा । हमने दुनिया को नायब लोग दिए शायर दिए जो कोहिनूर से भी ज्यादा कीमती है और हमारे साथ है ।