शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

बरेली मेरी जान

बरेली मेरा शहर एक ताज़ा सा हवा का झोका महसूस होता है हर दम , गंगा जमुनी तहजीव की शानदार मिसाल है। हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई,पारसी ,जैन,बौध और भी कई धर्म यहाँ खुली हवा मे सांस लेते है । अनेक पंथ ,सम्प्रदाय ,जाति एक धागे से बंधी है प्रेम धागे से ।

शानदार मंदिर ,मस्जिदे ,गुरूद्वारे ,कई पुराने चर्च यहाँ की धरोहर है । पुराने अस्पताल , स्कूल ,कालेज ,कुतुबखाने {पुस्तकालय } इसकी शान है । समय के साथ आधुनिक भी हमारा बरेली ।

कहते है जो एक बार यहाँ रह लिया वह यहाँ का निवासी हो गया । कोई ताज नहीं कोई किला नहीं कोई कुतुबमीनार नहीं लेकिन मोहबत है ,ताकत है ,गोरव शाली इतिहास है हमारा । हमने दुनिया को नायब लोग दिए शायर दिए जो कोहिनूर से भी ज्यादा कीमती है और हमारे साथ है ।

4 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

काश आपको जितना अपने शहर से प्यार है उतना ही प्यार सबको अपनी माट्टी से होता तो ये क्लेश नही होते !
बहुत शुभकामनाएं आपको !

रामराम !

"तिनका" ने कहा…

Barli se hee hai meri Jaan(Meri Dharm Patni),is liye yaro mere liye Barli hai Sab Se Mahan

"तिनका" ने कहा…
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Prem Farukhabadi ने कहा…

You are loving so much your Bareilly.Naturally you will be loving yourself so much also.You have given a great message by expressing your heart felt feeling to bloggers that love yourself, love your native place .badhaai ho . keep it up.