बरेली एक ऐसा शहर जिसे राजपूत कठेरिया राजा बॉस देव और बरल देव ने बसाया । उसे बॉस बरेली कहाँ जाने लगा । समय के साथ सिर्फ बरेली रह गया । पर लखनऊ मे आप बरेली की बात करे तो वहां पुछा जायेगा कौन सी बरेली बॉस या राय बरेली ।
बरेली रूहिल्ला सरदारों की राजधानी रहा । नबाब खानबहादुर खान और उनके मंत्री मुंशी शोभा राम ने ३१ मई १८५७ को बरेली अंग्रेजो से आजाद घोषित कर दिया । लगभग दो साल तक अंग्रेजो को धुल चटाई । अंग्रेजो के हमले मे वीर खान बहादुर खान और उनके २५७ साथियों को गिरफ्तार कर लिया । २४ फरवरी १८६० पुराणी कोतवाली मे पेडो पर सरेआम फासी पर लटका दिया और कई दिनों तक शहीद इसी हालत मे लटके रहे । बरेली के शहीदों को नमन ।
गौरव शाली इतिहास है हमारा ............ शेष आगे
22 टिप्पणियां:
बरेली के बारे में इस जानकारी का आभार..आगे आपसे और जानेंगे..हम तो इसे बांस बरेली, बरेली के बाजार मे झूमका और विश्व सुन्दरी का शहर..इस तरह से जानते थे..फिर आगे एक और जुड़ा..धीरु भाई का शहर..बस्स!! अब आप और जोड़िये. :)
हिंदी के लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे। अच्छा लिखे । नाम कमाएं। हार्दिक शुभकामनायें।
बढ़िया लिखा। कृपया बरेली के बारे में लिखते रहें। इंतजार रहेंगा।
अभी तो आगे और सुनना है बरेली के बारे में. अभी तो मात्र प्रस्तावना ही हुआ ना. आभार.
बॉस बरेली और राय बरेली के बारे मे जानना अच्छा रहा...
धीरूजी, मैं स्वयं बरेली से हूं। अच्छा लगा आपने बरेली के इतिहास को खंगालने की कोशिश की। इस पर आगे और विस्तार से दें। इंतजार रहेगा। शुभकामनाओं सहित।
बरेली यूँ भी ऐसा नाम है जिससे हर आदमी परिचित है ! और आपने और जानकारी बढ़ा दी ! धन्यवाद आपका !
राम राम !
भोपाल में किसी से बरेली की बात करो तो 'बाड़ी बरेली' समझेगा,जो भोपाल के पास का एक गाँव है.वैसे झुमका बरेली के बाजार में ही गिरा था और मशहूर बरेली तो बांस बरेली ही है. राय बरेली तो इंदिरा गांधी की वजह से मशहूर हुई.
काफी संजीदगी से आप अपने ब्लॉग पर विचारों को रखते हैं.यहाँ पर आकर अच्छा लगा. कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें. ''युवा'' ब्लॉग युवाओं से जुड़े मुद्दों पर अभिव्यक्तियों को सार्थक रूप देने के लिए है. यह ब्लॉग सभी के लिए खुला है. यदि आप भी इस ब्लॉग पर अपनी युवा-अभिव्यक्तियों को प्रकाशित करना चाहते हैं, तो amitky86@rediffmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं. आपकी अभिव्यक्तियाँ कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, वैचारिकी, चित्र इत्यादि किसी भी रूप में हो सकती हैं......नव-वर्ष-२००९ की शुभकामनाओं सहित !!!!
नववर्ष की शुभकामनाएँ
First of all Wish u Very Happy New Year...
BAreli ke bareme achchhi jankari uplabdh karayi aapne...
Badhi...
बरेली की सैर कराने के लिये शुक्रिया. इसका इतिहास गौरव से भरा है. बधाई.
बढ़िया इतिहास से जुड़ी जानकारी देने के लिए आभार.
Dhiru ji ab kab tak jhumka dhoondhen aapkei Bareli me....? koi nayi jagah ki sair karwaiye.
अच्छी लगी आपकी बरेली पता चला कि इसका नाम बाँस बरेली है । १८५७ के गदर में बरेली वालों का योगदान तो पता था पर उल्टे बाँस बरेली को िस कहावत का क्या मतलब है ।
ab to mai ek baar bareli jana chahunga
achchaa pariwaar hai aap ka
on blog parivaar and its good that you r working for barelee and more
thanks to makeing blog
अच्छी जानकारी दी है।
शहीदों के प्रति जो सम्मान आपके हृदय में है उससे हम परिचित हैं,बरेली के इतिहास पर जो विचार पढ़ने को ब्लॉग पर मिले अच्छे ज्ञानप्रद लगे।पुनर्मिलाम:
बरेली के बारे में यह इतिहास 1857 का स्वातंत्र्य समर मे पढा था आपने दुबारा याद करा दी आपने बरेली के पिछले भी पोस्ट पढे हैं आगे का इतिहास जानने की उत्सुकता है । काश भारत के सभी गांव, शहर ऐसे ही मिलजुल कर रहें ।
asha joglekar ji ne likh hi diya hai, ulte baans bareli ko. isase to ham mante the ki bareli me baans bahut hota hoga yani mithai ka tohfa halwai ko kism ki baat hogi, lekin aapke vivran se mamla kuchh alag jan padata hai. interesting, sthan naamo ki kahani aksar rochak hoti hai.
अतुलनीय भारत की एक और कड़ी है बरेली ,,,जानकारी बढ़ने का धन्यवाद् सर
dhiru bhaayi bhut khub aap ambaani nhin vrna dhiru ambaani ho jate ap singh hen isiliyen aapki dhad blog ki duniyaa men jngl ke raaja ki trh gunj rhi he aapne ala hzrt ka jo jlva byaan kiya he voh qaabile tarif he ab raabta rkhenge milte rhenge kuch lenge kuch denge mere blog pr ane ke liyen shukriya . akhtar khan akela kota rajsthan
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